किस तरह शुक्रीया अदा करे लफ्ज नही... बहूत ही ज्यादा इमेरजेंसी मे A- रक्त की आवश्यकता मे आप फरीस्ता निकले . नसीबा को रक्त की जरूरत थी , पुरा परिवार कोशिशे कर थक चुका था , होस्पिटल वालो ने भी साथ छोड दीया.. आंखो के आगे अपनी आंखो के नूर को दुर जाता देख आंसु नही थम रहे थे. आखिर इस अनोखे रक्त की व्यवस्था केसे की जाये . परिवार वालो ने बाड़मेर रक्तदाता समूह से सम्पर्क कीया .. समूह सदस्यों ने भी काफी कोशिशे की , मगर कोशिशो को नाकाम देख सबका दिल थमता जा रहा था ... अंत समय मे बिलाल खान फरिस्ता निकले और लाज रख दी .. किस तरह शुक्रीया अदा करे हमारे पास लफ्ज नहि है , आज चेहरो पे खुशी देख खुशी के आंसु छलक आये ... बिलाल खान, गांव-बलाउ